शिक्षक भर्ती के मामला: विवादों में घिरी सरकार इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मांगा जबाब

 




लखनऊ। यूपी के परिषदीय विद्यालयों में 69 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती में की गई 31 हजार 661 पदों पर भर्ती में कम मेरिट वाले अभ्यर्थियों के चयन के मामलें में इलाहाबाद उच्च न्यायालय को दिए गए जवाब में यूपी सरकार ने बताया है कि इस संबंध में एनआईसी से जवाब मांगा गया है।

सोमवार को वीडियों कांफ्रेसिंग के जरिए हुई सुनवाई में यूपी के महाधिवक्ता राघवेन्द्र सिंह ने न्यायालय को बताया कि पूर्व में 67 हजार 867 चयनित अभ्यर्थियों की सूची से ही 31 हजार 661 पदों की सूची को तैयार किया गया है। उस सूची में कोई गड़बड़ी नहीं थी लेकिन अब गड़बड़ी के आरोप कैसे लग रहे है, एनआईसी इसकी जांच कर रहा है और दो हफ्ते में अपनी रिपोर्ट देगा। रिपोर्ट में गड़बड़ी मिलने पर कार्रवाई की जायेगी। इस मामलें की अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी।



याची पक्ष संजय यादव व अन्य की ओर से अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी, अनिल सिंह बिसेन आदि का कहना था कि नियुक्ति पत्र देने के लिए जारी की गई सूची में बहुत से ऐसे मामले हैं जिनमें कम गुणांक वालों को नियुक्ति पत्र दे दिया गया है, जबकि अधिक गुणांक पाने वाले चयन से बाहर हैं।

बता दें कि उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में 69 हजार शिक्षक भर्ती के लिए चयन प्रक्रिया शुरू हुई है। इन पदों के सापेक्ष जून माह में 67 हजार 867 अभ्यर्थियों की अनंतिम सूची जारी हुई थी, लेकिन काउंसिलिंग के पहले दिन ही हाई कोर्ट ने चयन पर रोक लगा दी थी। प्रदेश सरकार ने शीर्ष कोर्ट के 21 मई के आदेश पर 31 हजार 661 पदों पर शिक्षक चयन को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया।

शासन ने आदेश दिया कि चयनितों की नई सूची जून माह में जारी अनंतिम सूची से ही बनाई जाए। बेसिक शिक्षा परिषद ने 31 हजार 277 पदों पर अभ्यर्थियों का चयन करके सभी जिलों में भेजा। दो दिन काउंसिलिंग के बाद बीते शुक्रवार को सभी चयनितों को नियुक्ति पत्र वितरित कर दिया गया।

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