राष्ट्र की अस्मिता एवं पारम्परिक संस्कृति की पहचान भाषा से होती है- प्रो निर्मला एस मौर्य




भाषा पर करें गर्व, तब होगी लोकप्रिय - प्रो पातंजलि

जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के अनुप्रयुक्त सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी संकाय एवं विवेकानंद केंद्रीय पुस्तकालय के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया गया।
ऑनलाइन आयोजित समारोह में  मुख्य अतिथि  वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय एवं टी एम विश्वविद्यालय भागलपुर के पूर्व कुलपति प्रोफेसर प्रेमचंद पातंजलि ने कहा कि हिंदी को समाज, न्यायपालिका, शासन, प्रशासन और राजनीति में जो स्थान मिलना चाहिए था वह नहीं मिल पाया। आज की पीढ़ी अपनी मातृभाषा पर गर्व क्यों नहीं कर पा रही है यह चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि अग्रेजों से आजादी मिल गई अंग्रेजी की दासता से मुक्ति नहीं मिल पाई है। उन्होंने कहा कि जिस भाषा पर हम गर्व नहीं कर सकते वह लोक प्रिय नहीं हो सकती।
अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा उत्तर प्रदेश मोनिका एस गर्ग ने कहा कि नैतिक मूल्यों और संस्कृति की बचपन की बातें आज भी हिंदी में ही याद आती है। अपने सांस्कृतिक  मूल्य और  इतिहास  हिंदी में आबद्ध  है। उन्होंने कहा कि नई  राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी  हिंदी को बढ़ावा देने की बात है। जो कि भविष्य के लिए सुखद है.
अध्यक्षता करते हुए   कुलपति प्रोफेसर निर्मला एस मौर्य ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की  अस्मिता  एवं पारंपरिक संस्कृति की पहचान भाषा से होती है । भाषा बहते हुए  जल की तरह  होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय  शीघ्र ही स्नातकोत्तर अनुवाद डिप्लोमा प्रारम्भ करेगा। उन्होंने कहा कि विश्व के सभी विकसित राष्ट्र मातृ भाषा में ही कार्य करते है।
समारोह में स्वागत  मानद पुस्तकालयाध्यक्ष प्रो० मानस पाण्डेय एवं विषय की पृष्ठ भूमि पर संयोजक एवं  संकायाध्यक्ष   डॉ० मनोज मिश्र ने प्रकाश डाला।  आयोजन सचिव  डॉ० दिग्विजय सिंह राठौर ने संचालन तथा तकनीकी सहयोग डॉ नितेश जायसवाल ने किया।
 इस अवसर पर कुलसचिव सुजीत कुमार जायसवाल, वित्त अधिकारी एम के सिंह, प्रो एच सी पुरोहित, प्रो अविनाश पाथर्डीकर,प्रो अजय द्विवेदी, प्रो अशोक कुमार श्रीवास्तव, प्रो वी डी शर्मा,  प्रो देवराज सिंह, पूर्व प्राचार्य डॉ विनोद सिंह,  डॉ राकेश कुमार यादव, डॉ राजकुमार सोनी, डॉ जगदेव, डॉ प्रमोद यादव, डॉ गिरिधर मिश्र, डॉ रसिकेश, डॉ अवध बिहारी सिंह, डॉ श्याम कन्हैया सिंह , डॉ मनोज पांडेय,  डॉ सुनील कुमार आदि ने प्रतिभाग किया। 

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