पंडित दीनदयाल मानवतावादी थे इसीलिए उनके चिन्तन में मानव रहा- प्रो निर्मला एस मौर्य
पंडित दीनदयाल समाज के अन्तिम व्यक्ति के विकास के पक्षधर रहे डा दीनानाथ
जौनपुर। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय इकाई एवं व्यावसायिक अर्थशास्त्र विभाग, प्रबन्ध अध्ययन संकाय मंगलवार को “पं. दीनदयाल उपाध्याय जी का आर्थिक एवं सामाजिक चिंतन” विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। अध्यक्षीय उद्बोधन में विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर निर्मला एस मौर्य ने कहा पंडित दीनदयाल उपाध्याय मानवतावादी थे, इसलिए उनके चिंतन के केंद्र में मानव ही रहा। उन्होंने कहा कि वह बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे इसलिए उन्होंने समाज धर्म और राजनीति पर अच्छे ढंग से अपने चिंतन को परिभाषित किया।
इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि एवं राज्यपाल नामित वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कार्य परिषद सदस्य डॉक्टर दीनानाथ सिंह ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने कलहमुक्त विकास की परिकल्पना की थी। उन्होंने अंत्योदय यानी देश के अंतिम व्यक्ति के विकास में निहीत अपने विकास की बात कही थी। उन्होंने गांधीजी के सर्वोदय और पंडित जी के अंत्योदय विचार का तुलनात्मक अध्ययन करते हुए अपनी बात रखी। उन्होंने कहा पंडित जी का मानना था पश्चात देशों में प्रभाव दृष्टि है अध्यात्म से वहां कुछ लेना देना नहीं। ऐसे में हमें प्रभाव वाले समाज से दूर रहने की जरूरत है। बतौर विशिष्ट वक्ता राज्यपाल द्वारा नामित डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद सदस्य डॉक्टर जगदीश सिंह दीक्षित ने कहा कि पंडितजी गरीबों के उत्थान के पक्षधर थे, उनका पूरा जीवन सादगी से भरा था। उन्होंने कहा कि मोदी जी का मंत्र सबका साथ सबका विकास की उत्पत्ति पंडित जी के मैं और हम की देन है।
विशिष्ट वक्ता के रूप में आचार्य डॉ रूद्रनारायण ओझा ने कहा पंडितजी के एकात्म मानववाद में पूरे मानव जीवन का दर्शन निहित है। आज हमें उसे अपने जीवन में उतारने की जरूरत है। अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम के संयोजक प्रो. विक्रम देव शर्मा ने विषय प्रवर्तन किया। अतिथियों का परिचय फार्मेसी विभाग के श्री सुरेंद्र सिंह ने कराया। संचालन डॉ आशुतोष कुमार सिंह और धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव डॉ राजकुमार ने किया। इस अवसर पर प्रो.अविनाश पाथीर्डीकर, प्रो. अजय द्विवेद्वी, डॉ . संदीप सिंह, डॉ सुशील शुक्ला, डॉ मनोज मिश्र, डॉ. मुराद अली डॉ अमित वत्स, डॉ सुनील कुमार, डॉ नीतेश जायसवाल, डॉ हरिओम त्रिपाठी प्रशांत यादव, कृष्ण कुमार यादव समेत कई शिक्षकों ने प्रतिभाग किया।
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