बाबरी विध्वंस मामले में 28 सालों बाद आया फैसला सभी आरोपी हुए बरी


लखनऊ। 28 साल पुराने बाबरी विध्वंस मामले का आज फैसला आ गया है। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में जो हुआ उस पर सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया। छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी ढांचे विध्वस के बाद इस मुकदमें में  कई बड़े नेताओं मुरली मनोहर जोशी, लाल कृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, विनय कटियार और उमा भारती समेत सभी 32 आरोपितों को बरी कर दिया गया है। फैसले में कहा गया की अराजक तत्वों ने इसे गिराया।
भाजपा के इन नेताओं की कोई भूमिका नहीं

इसमें विहिप और भाजपा के इन नेताओं की कोई भूमिका नहीं थी। फैसले में कहा गया कि सीबीआई 65 गवाहों को प्रस्तुत नहीं कर पाई। आज 12 बजकर 25 मिनट पर सीबीआई की विशेष अदालत में 30 सितंबर को बाबरी विध्वंस मामले का फैसला सुनाया गया। यह 28 साल पुराना ऐतिहासिक फैसला राजधानी लखनऊ के पुरानी हाइकोर्ट बिल्डिंग में स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में सुनाया गया।

ऐतिहासिक फैसला जस्टिस सुरेंद्र कुमार यादव की कलम से

सीबीआई की विशेष अदालत में इस ऐतिहासिक फैसले को जस्टिस सुरेंद्र कुमार यादव की कलम से लिखा गया। इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 49 लोगों को मुल्जिम बनाया गया है।

17 आरोपियों की तो मौत हो चुकी है

इस लम्बे मुकदमें में 49 आरोपितों के खिलाफ सीबीआई ने अपनी चार्जशीट फाइल की थी जिसमें 17 आरोपियों की तो मौत हो चुकी है। इनमें प्रमुख रूप से बाला साहेब ठाकरे, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि  डालमिया आदि शामिल थें।

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