खुटहन थाना क्षेत्र की घटना ने एक बार फिर पुलिस को खड़ा किया सवालों के कटघरे में
जौनपुर । जनपद प्रशासन एवं पुलिस द्वारा लगातार अपराध नियंत्रण और कानून व्यवस्था दुरूस्त रखने के लिए कागजी कार्रवाई जारी रहने के बीच अपराधिक घटनाओं पर न तो नियंत्रण हो रहा है न ही जमीनी विवाद थमने का नाम ले रहा है। ताजा मामला थाना खुटहन क्षेत्र स्थित ग्राम फिरोजपुर की है बीते रविवार को एक विस्वा जमीन के लिए हुईं फौजदारी मे त्रिपल मर्डर की घटना के बाद जिला पुलिस प्रशासन एवं आईजी परिक्षेत्र वाराणसी द्वारा पुलिस की लापरवाही मानते हुए थाना प्रभारी खुटहन जगदीश कुशवाहा सहित एक दरोगा एवं सिपाहियों के विरुद्ध की गयी निलम्बन की कार्यवाही यह संकेत करता है कि यदि पुलिस ने घटना के पहले मामले के प्रति संवेदन शीलता दिखाया होता तो तो एक साथ तीन हत्याओं की घटना को रोका जा सकता था।
यहाँ बतादे कि गत रविवार यानी 23 अगस्त को फिरोजपुर गांव में जमीनी विवाद को लेकर दो पासवान परिवार में जम कर लाठी डन्डा गड़ासा भाला टंगारी तलवार जैसे अस्त्रों का प्रयोग किया गया जिसका परिणाम रहा कि दोनों पक्षों में मौत ने दस्तक दे दिया एक पक्ष से रामचन्दर एवं बैजनाथ पासवान तो दूसरे पक्ष से राम खेलावन पासवान की मौत घटना स्थल पर हो गयी और लगभग डेढ़ दर्जन लोग रक्त रंजित हुए।
इस मामले में खबर यह है कि घटना के पहले थाने पर मामला गया था लेकिन धनोपार्जन में जुटी पुलिस अपने अभियान मे लगी रही और दोनों पक्षों का विवाद खत्म करने के लिए प्रभावी कार्यवाही नहीं किया था। अपनी जेब गरम करने के बाद एक पक्ष को कब्जा की छूट दिया जिसका परिणाम रहा कि हत्यायें हो गयी है ।इस घटना के पश्चात जिला प्रशासन सहित पुलिस प्रशासन एवं आईजी परिक्षेत्र वाराणसी सभी के हांथ पांव फूल गये सभी घटना स्थल पर पहुंचे। इसके बाद अपने को सुरक्षित रखने के लिए थानेदार सहित दरोगा सिपाहियों के खिलाफ कार्यवाही कर जिम्मेदारीसे मुक्त हो गये।
अब यहाँ पर सवाल खड़ा होता है कि क्या कानून व्यवस्था के लिए थानेदार ही जिम्मेदार है अथवा विभाग के शीर्ष अधिकारी भी जिम्मेदार होते हैं। मुहावरा है जैसा राजा चाहता है वैसे ही प्रजा को करना पड़ता है ।जब पुलिस अधीक्षक ही जमीनी विवाद में हस्तक्षेप से परहेज करते हैं तो थानेदार क्यों न करें मातहत तो एस पी के ही तो होते हैं। सूत्र की माने तो इस समय जिले के सभी थानेदारोकी स्थित एक जैसी है जमीनी विवाद से अलग है केवल धनोपार्जन में जुटे हुए हैं। इसके अलावां छोटा मोटा अपराध करने वालों अथवा इलाके के दबंग लोगोंसहित ऐसे लोग जिनकी सत्ता में पहुंच नहीं के उपर गैगेस्टर लगा कर उनकी चल अचल सम्पत्तियों को कुर्क करना रह गया है। इसके बाद समय मिलने पर दो पहिया वाहन चलको से मास्क हेलमेट के नाम पर चालान एवं धन वसूली किया जा रहा है। गम्भीर अपराध को रोकने की न कोई योजना बन रही है न ही उस पर अमल किया जा रहा है। यही कारण है कि जनपद में जमीन पर कब्जा, बलात्कार, हत्या जैसे संगीन अपराधों मे बाढ़ आ गयी है।
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