सवाल: निलम्बन के बाद क्यों थाना प्रभारी का काम काज देख रहे हैं त्रिवेणी लाल सेन




 जौनपुर । पुलिस अधीक्षक जौनपुर के एक आदेश इन दिनों चर्चा का बिषय बना है। कि साहब कैसा आदेश करते है एक ओर थाना प्रभारी को निलम्बित करते है तो दूसरी ओर वह थाने का प्रभार भी संभालते नजर आता है। इस खेल के पीछे क्या कारण है यह तो पुलिस अधीक्षक जाने लेकिन जन मानस के बीच यह चर्चा का बिषय बना है। 
जी हाँ सौ प्रतिशत सच है मामला थाना मड़ियाहूं का है, विगत 8 अगस्त को थाना मड़ियाहू क्षेत्र स्थित ग्राम कुम्भ में एक अनुसूचित जाति की 13 वर्षीया किशोरी के साथ आदिवासी युवक ने अपहरण कर उसके साथ बलात्कार किया इसके पश्चात किशोरी की गला काट कर हत्या कर दिया  तत्पश्चात शव को गांव के पास एक खेत में फेंक कर फरार हो गया था। 
अपहरण की घटना के पश्चात किशोरी के परिजन थाने पर शिकायत किये थे। बलात्कार फिर हत्या की घटना से अधिकारी तत्काल गांव में गये थे यहाँ तक कि आईजी वाराणसी भी आये थे।  उच्चाधिकारियों को महसूस हुआ कि अपहरण की घटना की सूचना मिलने पर पुलिस ने लापरवाही बरता है। जिसके चलते थाना प्रभारी त्रिवेणी लाल सेन को पुलिस अधीक्षक ने तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया। 
अब खबर मिली है कि श्री सेन आज भी थाना मड़ियाहूं पर विराजमान है थाना प्रभारी का काम काज संचालित कर रहे हैं। सीयूजी नंबर उनके पास ही है। यहाँ सवाल यह है कि जब त्रिवेणी लाल सेन को थाना प्रभारी बनाये रखना ही था निलम्बन की कार्यवाही क्यों किया गया ?   जब थाना प्रभारी पर आरोप नहीं था तो निलम्बित ही क्यों किया गया ? निलम्बन आदेश के बाद फिर बहाली एवं पोस्टिंग का आदेश तो नहीं निर्गत कर दिया गया ? कारण जो भी हो लेकिन पुलिस अधीक्षक के निलंबन का आदेश इस समय चर्चा का बिषय बना हुआ है। आखिर क्या मजबूरी है कि एस पी के आदेश का पालन नहीं हुआ। जनता अपने सवालों का जबाब चाहती है।  

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