भाजपा जनो ने डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि को बलिदान दिवस के रूप में मनाया
जौनपुर । राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा प्रखर राष्ट्रवादी नेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की पुण्यतिथि को बलिदान दिवस के रूप में मनाये जाने के क्रम में जनपद मुख्यालय पर भारतीय जनता पार्टी के कैम्प कार्यालय स्थित लाइन बाजार कचगांव रोड पर जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने डॉ मुखर्जी के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन कर बलिदान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर जिलाध्यक्ष ने अपने सम्बोधन में कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने देश को एक सूत्र में बांधने के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया, उन्होंने कश्मीर को भारत से अलग करने का विरोध किया था,1953 में डॉ मुखर्जी को कश्मीर में घुसने के प्रयास के कारण 11 मई को गिरफ्तार किया गया और 23 जून 1953 को कश्मीर के जेल में उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी।
कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए का हटाया जाना हमारे प्रेरणास्रोत पुरुषों को सच्ची श्रद्धांजली है डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसके लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया जम्मू कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री शेख मोहम्मद अब्दुल्ला और भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की साजिश के कारण श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अब्दुल्ला के कारागार में 23 जून 1953 को एक "शहीद की मृत्यु" को अंगीकार किया। जनसंघ के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 6 मई 1953 को दिल्ली से कश्मीर मार्च की घोषणा कर दी और कश्मीर की ओर निकल पड़े, उनका स्थान-स्थान पर हजारों लोगों ने स्वागत किया। बिना परमिट कश्मीर जा रहे डॉ. मुखर्जी को नेहरू सरकार ने जालंधर में नजरबंद कर लिया लेकिन इस लौह आवरण को भेदकर डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू के लिए चल पड़े। एक देश मे दो प्रधान-दो निशान-दो विधान नहीं चलेगा के गगनभेदी नारों के बीच हजारों लोगों ने डॉक्टर मुखर्जी के साथ कश्मीर में प्रवेश किया। जहां पर शेख अब्दुल्ला सरकार ने उनको गिरफ्तार करके श्रीनगर जेल में बंद कर दिया भारत सरकार और कश्मीर सरकार के इस षडयंत्र और डॉक्टर मुखर्जी जी की गिरफ्तारी से पूरे देश में रोष फैल गया। आम जनता का दबाव नेहरू और शेख को भारी पड़ने लगा। डॉक्टर मुखर्जी की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय 23 जून को ही आने वाला था की 23 जून की रात में ही जेल में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी का निधन हो गया।
जनसंघ ने पूरे देश में जांच की मांग को लेकर जबरदस्त आंदोलन किया परन्तु सरकार कांग्रेस की होने के कारण न्याय नही मिला। अन्ततः 2019 में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इस विधान को समाप्त करके एक कलंक को मिटा दिया।जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह जी ने कहा कि हमारे देश का लोकतंत्र बहुत मजबूत है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में दशकों तक लाखों ऐसे लोग थे जिनको लोकसभा में वोट का अधिकार था लेकिन विधानसभा और स्थानीय निकायों में वोट नहीं डाल पाते थे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और गृह मंत्री अमित शाह के अमिट निर्णय से अब सभी को अधिकार मिल गए हैं, केंद्र के इस दृढ़ निर्णय से जम्मू-कश्मीर में भी जनप्रतिनिधि अब वहां के लोगों द्वारा चुना जाएगा। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से उपाध्यक्ष सुरेंद्र कुमार सिंघानिया, ई. अमित श्रीवास्तव, जिला महामंत्री सुशील मिश्रा, पीयूष गुप्ता, जिला मंत्री रविंद्र सिंह राजू दादा, अभय राय, डीसीएफ चेयरमैन धनंजय सिंह, भूपेंद्र पांडेय, आमोद सिंह, विनीत शुक्ला, रोहन सिंह, राजवीर सिंह, सिद्धार्थ राय, सुशांत चौबे, इन्द्रसेन सिंह प्रमोद, अनिल गुप्ता, प्रमोद प्रजापति, जिला भाजयुमो महामंत्री अजय यादव, शुभम मौर्य आदि कार्यकर्ता मौजूद थे।
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