कम लागत में होगी बीमारियों की जांच और पहचान-डा. मेहरवान
गांव और रिमोट एरिया में की जाएगी फोटोनिक सेंसर से जांच
सेंटर फॉर रिन्यूएबल एनर्जी, रज्जू भैया संस्थान द्वारा चल रहे व्याख्यान श्रृंखला का समापन
जौनपुर । वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर के प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैया भौतिकी विज्ञान अध्ययन एवं शोध संस्थान के द्वारा निशुल्क ऑनलाइन व्याख्यान श्रृंखला के समापन सत्र में रविवार को सीएसआईआर- राष्ट्रीय विज्ञान संचार और सूचना स्रोत संस्थान नई दिल्ली के वैज्ञानिक डॉ० मेहरवान ने छात्रों को फोटोनिक सेंसर्स के उपयोगिता और कार्यविधि के बारे में बताया।
डॉ.मेहरवान ने कहा कि फोटोनिक सेंसर्स का उपयोग कर हम गांव और रिमोट एरिया में कम लागत पर बीमारियों की पहचान और जांच कर सकते हैं। यह अन्य डाइग्नोसिस में भी उपयोगी साबित हो सकती है।
ताइवान के वैज्ञानिक डॉ. अनिमा घोष ने चालकोजेन मैटेरियल्स का सोलर में उपयोगिता के बारे में बताया। डॉ. घोष ने कहा कि चालकोजेन मैटेरियल्स नॉन टॉक्सिक मैटेरियल होते है जो की उच्च गुणवत्ता के सोलर सेल बनाने में प्रयोग किये जा सकते है । सेंटर फॉर रिन्यूएबल एनर्जी, रज्जू भैया संस्थान द्वारा चल रहे व्याख्यान श्रृंखला "लेक्चर सीरीज ऑन रीसेंट एडवान्सेस इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी" का समापन संस्थान के निदेशक प्रो. देवराज सिंह ने किया। बताते चले की इस व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत 13 वेबिनार का आयोजन हुआ, जिसमे पूर्वांचल विश्वविद्यालय के साथ-साथ देश अन्य शैक्षणिक व शोध संस्थानों के छात्रों और शोधार्थियों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। व्याख्यान श्रृंखला में कोरिया व ताइवान के वैज्ञानिकों के साथ-साथ देश के अन्य संस्थानों के वैज्ञानिकों ने अपना शोध कार्य छात्रों के साथ साझा किया। अंतिम वेबिनार उमा नाथ सिंह इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के डॉ० राम नरेश यादव द्वारा डोमिनोज़ मेटाथिसिस पर दिया गया।
इस अवसर पर कुलपति प्रो० (डॉ०) राजा राम यादव जी ने रज्जू भैया संस्थान के द्वारा आयोजित व्याख्यान श्रृंखला की सराहना की व छात्र/छात्राओं को लॉकडाउन के दौरान घर पर सुरक्षित रहते हुये अध्ययन करने का सलाह दी। प्रो० देवराज सिंह ने व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन कर रहे संस्थान के वैज्ञानिक डॉ० धीरेन्द्र चौधरी को शैक्षणिक गतिविधि को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए बधाई दी। इस अवसर पर व्याख्यान देने वाले सभी आचार्यों, प्रतिभागियों व वैज्ञानिकों के साथ-साथ डॉ० गिरिधर मिश्रा, डॉ० पुनीत धवन, डॉ० नीरज अवस्थी, संदीप वर्मा व संस्थान के अन्य सभी आचार्यों ने सहभागिता की।
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