सवाल- कोरोना महामारी से निपटने के लिए ट्रामा सेंटर के चार वेंटिलेटर का उपयोग क्यों नहीं



      जौनपुर।  आज एक तरफ पूरा देश वैश्विक महामारी कोरोना से जूझ रहा है अब तक इस महामारी से निपटने के लिए कोई दवा नहीं खोजी जा सकी है। इससे पीड़ित गंभीर मरीजों को जीवनदान देने के लिए वेंटिलेटर ही कुछ कारगार साबित हो रहा है। इसकी कमी से एक जिला ही नहीं पूरा प्रदेश परेशान है यहाँ तक की सूबे के मुख्यमंत्री हर जिले में वेंटिलेटर की व्यवस्था करने के लिए जुटे हुए हैं।  वहीं  दूसरी ओर जिले के स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के कारण जनपद जौनपुर में वाराणसी मार्ग पर स्थित सिरकोनी बाजार के पास बने ट्रामा सेंटर में चार वेंटिलेटर  वर्षों से बेकार पड़ा जंग खा रहा है। उसका न तो उपयोग किया जा रहा है  न ही उसकी कोई सुधि ही ले रहा है। 
जिले में स्वास्थ्य विभाग के मुखिया सीएमओ राम जी पाण्डेय  का कथन वेंटिलेटर के बाबत है कि जिले में यह सुविधा है ही नहीं,  ऐसे में  सवाल खड़ा होता है कि कि जिले में वाराणसी मार्ग पर स्थित सिरकोनी बाजार के पास हौज गांव में बना ट्रामा सेंटर क्या जनपद में नहीं है। यहां पर अल्ट्रासाउंड से लेकर अन्य अत्याधुनिक उपचार की मशीनें है वह कब और किस काम आयेंगी।  सूत्र की माने तो यहाँ पर जून 2018 में  चार वेंटिलेटर मशीनें मंगा कर रखी गयी है जिसे आज तक इंसटाल भी नहीं किया जा सका है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि संकट इस घड़ी में जब वेंटिलेटर की जरूरत है तो इसका उपयोग क्यों नहीं किया जा रहा है। आखिर किस लिए मशीन को रखा गया है इस बाबत सवाल करने पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं हर जिम्मेदार मौन साध लिया है। 
हलांकि ट्रामा सेंटर में चार वेंटिलेटर मशीनों के बिषय में ट्रामा सेंटर के प्रभारी डा.डी के सिंह कहते हैं कि मुझे यहाँ आये हुए आठ  नौ माह हुए है। मशीनें वर्षों से आ रखी है विभाग के उच्च अधिकारी आदेश देंगे तब उसे इंसटाल करा दिया जायेगा।  टेक्नीशियन से पूरी जानकारी लेने की बात कह कर पल्ला झाड़ लिए।  टेक्नीशियन डा. राम सहाय यादव ने बताया कि  मशीन की रिसीविंग तो जून 2018 में ही हो गयी थी लेकिन इंसटाल न होने का कारण पता नहीं है। 
सी एम ओ डा. राम जी पाण्डेय  इसके बाद भी अपने बयान में वेंटिलेटर की अनुपलब्धता की बात करते हुए एक ही रट लगाए है कि जल्द वेंटिलेटर मशीनों की व्यवस्था हो जायेगी। 
इस तरह वेंटिलेटर की मशीन जिले में रहने के बाद भी कोरोना के उपचार में उसका उपयोग न करना स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीयो  की  घोर लापरवाही मानी जा रही है। अब यहाँ सवाल इस बात का है कि क्या जिला प्रशासन इसे गम्भीरता से ले  सकेगा या स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी के बयान को सच मानकर वह भी चुप्पी साध लेंगे।

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