जौनपुर: ग्राम प्रधान संगठन का एलान वर्तमान डीएम के रहते नहीं करेंगे मनरेगा का काम




    जौनपुर ।  प्रदेश की सरकार ने एक ओर तो एलान किया है कि  प्रदेश में मनरेगा के तहत गरीब मजदूरों को रोजगार मुहैया करायेंगे,  लेकिन जनपद जौनपुर में ग्राम प्रधानो एवं जिलाधिकारी के बीच जो तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गयी है उससे नहीं  लगता है कि यहाँ जनपद में मुख्यमंत्री की योजना फलीभूत हो सकेंगी  क्योंकि राष्ट्रीय पंचायती राज ग्राम प्रधान संगठन के बैनर तले ग्राम प्रधानो ने  वर्तमान जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह को जिले में रहते हुए मनरेगा का काम नहीं कराने का निर्णय ले लिया है। 
यहाँ बतादे कि जनपद में जिलाधिकारी का कार्यभार ग्रहण करने के बाद से वर्तमान जिलाधिकारी के द्वारा ग्राम प्रधानो के  विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराने का अभियान छेड़ दिया गया था कोरोना के चलते लाक डाऊन अवधि में मजदूरों की शिकायत पर बगैर जांच कराये ही पांच ग्राम प्रधानो के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा के जेल भेज दिया गया है । इसके पहले भी  तीन ग्राम प्रधानो को शिकायत मिलने पर जांच कराये बगैर ही मुकदमा दर्ज कराके जेल भेज दिया है।  
जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह के इस कार्यशैली को राष्ट्रीय पंचायती राज ग्राम प्रधान संगठन ने गम्भीरता से लेते हुए एलान कर दिया कि वह वर्तमान जिलाधिकारी के रहते हुए जिले में मनरेगा का काम नहीं करायेगा। इसके बाबत एक पत्र 
संगठन के जिलाध्यक्ष  डा. मनोज कुमार यादव ने ग्राम्य विकास मंत्री उप्र शासन, प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास उप्र लखनऊ,  निदेशक मनरेगा उप्र ,आयुक्त वाराणसी तथा  राष्ट्रीय पंचायती राज ग्राम प्रधान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष एवं महामंत्री को सूचनार्थ भेज दिया है। 
इस संदर्भ में  संगठन के जिलाध्यक्ष मनोज कुमार यादव ने बताया कि ग्राम प्रधान भी जनता से चुना हुआ जनप्रतिनिधि है  देश एवं प्रदेश की सत्ता पर आसीन लोग सम्मान पूर्वक बात करते है  लेकिन जिलाधिकारी जौनपुर तो ग्राम प्रधानो के लिए अपशब्दो का प्रयोग करते हुए अपमानित करने का का काम करते है और  झूठी  बेबुनियादी शिकायतों के आधार पर मुकदमा दर्ज करा के प्रधान को जेल भेजने का काम कर रहे हैं  ऐसे में जब श्री सिंह जिले के जिलाधिकारी के पद पर आसीन रहेंगे प्रधान कोई काम नहीं करेगा क्योंकि अकारण जेल क्यों जाये। 
इस सन्दर्भ में जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह का पक्ष जानने के लिए कई बार सरकारी सीयूजी मोबाइल नंबर पर काल किया गया लेकिन वह रिसीव नहीं किया जा सका इसलिए उनका वर्जन नहीं मिल सका है। 
यहाँ बतादे कि जिलाधिकारी एवं ग्राम प्रधानो के बीच छिड़ी इस जंग का असर जनपद के अन्दर मनरेगा योजना पर पडेगा।  हो सकता है कुछ दो चार प्रतिशत ग्राम प्रधान जिलाधिकारी के पक्ष में आकर मनरेगा का भले ही करे लेकिन बड़ी संख्या में ग्राम प्रधान गण अपने संगठन के साथ नजर आने के मूड में दिख रहे है। संगठन के सभी पदाधिकारी गण ग्राम प्रधानो को  एक साथ लाम बंद करने के लिए पूरे जिले में प्रधानो से सम्पर्क कर रहे है । अब देखना यह है कि सरकार किसके साथ नजर आती है। मनरेगा का काम सम्पन्न कराने के लिए चुने गये जन प्रतिनिधि ग्राम प्रधानो के साथ खड़ी होती है या जिलाधिकारी का पक्ष लेते हुए सरकार की महत्वाकांक्षी योजना  मनरेगा के काम को ठुकरा देती है।

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