ग्राम प्रधानो के खेल से अपात्र काट रहे हैं मलाई, गरीब भूख है बेहाल
जौनपुर। कोविड 19 वैश्विक महामारी के चलते देश में जारी लाक डाऊन की अवधि में कोई भूखा न रहे की मंशा रखते हुए सरकारी आदेश के तहत पूरे प्रदेश में सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों के माध्यम से गरीबों को फ्री अनाज चावल देने का निर्देश हुआ । अब यहाँ पर सवाल उठता है कि क्या सरकार के इस योजना का लाभ सचमुच गरीबों को ही मिल रहा है या नहीं ? क्योंकि इसके पीछे बड़ा खेल हो रहा है। सस्ते गल्ले की दुकानों से फ्री का अनाज बाजर पहुंच कर बाजर की दर से बिक रहा है ।
यहाँ बतादे कि कि जनपद जौनपुर में नजर डाली जाए तो उपभोक्ता इस योजना से भूख मिटाने के बजाय खाद्यान बाजर में बेंच कर धनोपार्जन कर रहे है। शासनदेश है कि अन्त्योदय और पात्र गृहस्थी का कार्ड उसी को दिया जाये जी सही में गरीब हो और उसके पास खेत अथवा पक्का मकान या कोई वाहन न हो लेकिन जिले की ग्राम सभाओं में ग्राम प्रधान गण अपने खास एवं अपात्रो तथा सम्पन्न लोगों का राशन कार्ड बनाये बैठे है। जो सरकार के उपर खाद्यान का बोझ बढ़ाये हुए हैं और रास्ते गल्ले की दुकानों से फ्री का अनाज लेकिन औने पौने दाम पर बाजार में बेंच रहे है। क्या शासन प्रशासन इस लूट के खेल की जांच करा कर सही मायने में जो गरीब है उनको सरकार की मंशा के तहत योजना का लाभ पहुंचाने की पहल करेगी।
इस सन्दर्भ में भाजपा के वरिष्ठ नेता जगत नरायन दूबे ने प्रदेश सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ एवं अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी को पत्र भेज कर पूरे प्रदेश में जारी अपात्रो के राशन कार्डो की जांच कराने की मांग किया गया है। श्री दूबे का भी मानना है कि सरकार की योजना का लाभ सही मायने में गरीबों को नहीं मिल रहा है। बल्कि सम्पन्न एवं अपात्र योजना का लाभ उठा रहे है । इनका यह भी कथन है कि सरकार पूरे प्रदेश में इसकी जांच शक्ति के साथ कराये ताकि सरकार के खाद्यान का जो अधिक भार है उस पर नियंत्रण किया जा सके और गरीबों परिवारो को लाभ मिल सके।
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