दीवानी न्यायालय से फरार अभियुक्त मामले में पुलिस और अधिवक्ता लगा रहे हैं एक दूसरे पर आरोप
जौनपुर । बीते दिवस 3 मार्च मंगलवार को जनपद के दीवानी न्यायालय में पुलिस एवं अधिवक्ता के बीच हुए विवाद के दौरान मौके का फायदा उठाकर फरार हो गये हत्या के अभियुक्त के मामले में पुलिस और अधिवक्ता आपस में एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। हलांकि पुलिस ने अधिवक्ता को जिम्मेदार मानते हुए अपने सिपाही की तहरीर के आधार पर अधिवक्ता एवं फरार हत्या अभियुक्त के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के बाद एक अधिवक्ता को रात्रि में 12 बजे के आसपास गिरफ्तार कर लिया और दूसरे दिन 4 मार्च बुधवार को न्यायालय में चालान भेजा मजिस्ट्रेट ने अधिवक्ता को जमानत पर छोड़ दिया है । फरार अभियुक्त पुलिस पकड़ से दूर है।
बतादे गत 3 मार्च दिन मंगलवार को हत्या के अभियुक्त अनिल गौड़ को जेल से पुलिस सुरक्षा में पेशी पर ले जाया गया था पेशी से वापस कोर्ट के लाकप में वापस ले जाते समय पुलिस एवं अधिवक्ता के बीच झड़प के बाद धक्का मुक्की हो गयी इसका लाभ उठा कर अभियुक्त पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया। इसके बाद दीवानी न्यायालय छावनी में तब्दील हो गया पुलिस के आला अधिकारियों सहित कई थानो की पुलिस फरार अभियुक्त की तलाश में जुटी लेकिन बदमाश को नहीं खोज सकी ।
घटना के बाद पुलिस को जानकारी मिली कि अधिवक्ता गण योजना बद्ध तरीके से अभियुक्त को भगाने के लिए पुलिस से विवाद किया। पुलिस ने सिपाही शेष नाथ यादव की तहरीर पर अधिवक्ता कृष्ण मोहन यादव एवं राजनाथ यादव सहित फरार अभियुक्त अनिल गौड़ के खिलाफ थाना लाईन बाजार में मुकदमा दर्ज करने के बाद अधिवक्ता कृष्ण मोहन यादव को रात्रि में 12 बजे गिरफ्तार कर लिया और दूसरे दिन न्यायालय में चालान भेजा है। हलांकि कोर्ट ने विवादों से बचने के लिए जमानत दे दिया है।
इस मामले को लेकर पुलिस अधिवक्ता को अपराधी के फरार होने में अधिवक्ता की साजिश करार दे रही है वहीं अधिवक्ता गण का आरोप है कि पुलिस अपने को बचाने के लिए अधिवक्ता को फर्जी मामले में फंसा रही है। सच्चाई क्या है इसका खुलासा करने के लिए पूरे मामले की मजिस्ट्रीयल जांच जरूरी है। अब सवाल यह उठता है कि क्या इस मामले की मजिस्ट्रीयल जांच कराया जा सकेगा।
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