वे दस बड़ी वजहे जिसकी वजह से लोकसभा में भाजपा ने लहराया परचम
इस चुनाव में लोगों ने विपक्ष के आरोपों की जगह मोदी सरकार के काम को तरजीह दी है। भाजपा की इस बड़ी जीत के पीछे कोई एक कारण नहीं कई वजहें रही हैं। आइये करते हैं उन वजहों की पड़ताल......
नई दिल्ली, मौजूदा लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अकेले दम पर 303 सीटों पर जीत दर्ज की है। अभी तक के आंकड़ों के मुताबिक, एनडीए को कुल 346 सीटें गई हैं। भाजपा ने विपक्षी दलों को जिस प्रकार करारी शिकस्त दी है। उससे एक बात पूरी तरह साफ हो जाती है कि इस चुनाव में लोगों ने विपक्ष के आरोपों की जगह मोदी सरकार के काम को तरजीह दी है। भाजपा की इस बड़ी जीत के पीछे कोई एक कारण नहीं कई वजहें रही हैं। आइये जानते हैं उन मुद्दों को जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में जबरदस्त हवा बनाने का काम किया...
मोदी के सामने विपक्ष के पास नहीं था कोई चेहरा
इस चुनावी विजय के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद एक बड़ी वजह थे। यही कारण रहा कि पूरा चुनाव नरेंद्र मोदी के इर्द-गिर्द ही घूमता रहा। विपक्षी दलों के नेताओं पर भी मोदी ही रहे। विपक्षी दलों में कोई भी ऐसा नेता नहीं था जिसकी छवि नरेंद्र मोदी को चुनौती दे पाती। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष की इसी कमजोरी को हथियार बनाया। अपनी चुनावी रैलियों में वह यही सवाल उठाते थे कि विपक्ष के पास सर्वमान्य नेता कौन है। वहीं विपक्षी दलों में भी किसी एक नेता को लेकर कोई सहमति नहीं बन पाई। कुछ दल राहुल गांधी के पक्ष में तो कुछ दूसरे नेताओं के पक्ष में हवा बनाते नजर आए।
विपक्ष नहीं हो सका एकजुट
इस चुनाव में विपक्षी एकता का सर्वथा अभाव दिखाई दिया। आम चुनाव के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भी विपक्षी गोलबंदी की हवा निकलती दिखाई दी। सपा और बसपा ने अपने गठबंधन में कांग्रेस को जगह नहीं दिया। अखिलेश यादव और मायावती का यही फैसला उन पर भारी पड़ गया। कांग्रेस का अकेले चुनाव लड़ना सपा-बसपा गठबंधन के नुकसान का कारण बना। कांग्रेस ने सपा और बसपा के परंपरागत वोटबैंक में सेंध लगाने का काम किया। रही सही कसर दिल्ली, पश्चिम बंगाल और हरियाणा में पूरी हो गई। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने कांग्रेस को कोई भाव नहीं दिया तो कांग्रेस ने दिल्ली और हरियाणा में आप को तवज्जो नहीं दी। इससे मतों का बिखराव हुआ और भाजपा ने भी इसका पूरा फायदा उठाया।
विपक्ष की नकारात्मक राजनीति
विपक्ष की करारी हार के पीछे उसकी नकारात्मक राजनीति भी रही। कांग्रेस ने सरकार बनने पर देशद्रोह के कानून को हटाने की बात कही थी। यह लोगों को नागवार गुजरा। भाजपा ने भी इसे कांग्रेस की कमजोर कड़ी बनाया और उस पर चोट की। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसी बात को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष पर हमलावर रहे। भाजपा के बाकी नेताओं ने जनता के बीच इसे बार-बार दोहराया। इससे लोगों में कांग्रेस के प्रति नजरिया बदला और उन्होंने भाजपा के पक्ष में जाने का फैसला किया। रही सही कसर बाकी के विपक्षी नेताओं ने पूरी कर दी। महबूबा मुफ्ती और फारुख अब्दुल्ला जैसे नेताओं ने देश विरोधी बयान दिए जिससे लोगों को लगा कि पूरा विपक्ष देश के खिलाफ बोल रहा है।
भाजपा ने महिलाओं के मुद्दों को भुनाया
इस चुनाव में भाजपा को मिली बड़ी कामयाबी के पीछे देश की महिला मतदाताओं का खासा योगदान रहा। मोदी सरकार ने महिला केंद्रित योजनाएं इज्जत घर (घर में शौचालय), उज्ज्वला (गैस सिलेंडर), पीएम आवास (रहने के लिए घर) और प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना (घर घर बिजली) चलाईं जिसने न सिर्फ देश की महिलाओं का जीवन आसान किया बल्कि उनकी इज्जत का भी ख्याल रखा जिसे कभी किसी सरकार ने तवज्जो नहीं दी थी। जिन जगहों से एनडीए को ज्यादा सफलता मिली है उनमें से कुछ जगहों पर महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में ज्यादा मतदान किया है और कुछ जगहों पर पिछली बार की तुलना में इस बार महिलाओं का मतदान प्रतिशत ज्यादा रहा है।
राष्ट्रवाद एवं राष्ट्रीय सुरक्षा
इस चुनाव को देखते हुए भाजपा ने अर्से पहले राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे को उछालना शुरू कर दिया था। मोदी सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ी गई लड़ाई को चुनावी अधिसूचना लागू होने के काफी पहले से भुनाना शुरू कर दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के बाकी नेता भी इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाने में पीछे नहीं रहे। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष ने राफेल के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश की जो शुरुआत से ही फेल होती नजर आई। खुद प्रधानमंत्री ने संसद में कांग्रेस अध्यक्ष के अध्यक्ष के सवालों का करारा जवाब दिया। रक्षा मंत्री समेत सभी बड़े भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर वायुसेना को कमजोर करने का आरोप लगाया। यही नहीं भाजपा ने कश्मीर से अनुच्छेद- 35ए को हटाने की बात कही थी जो उसके पक्ष में ही गया।
विकास के कार्यों की लंबी फेहरिस्त
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी हर चुनावी रैलियों में अपनी सरकार के विकास कार्यों का खाका पेश करते थे। वह दुनिया की चर्चित योजना 'आयुष्मान भारत' का हवाला देकर विपक्षी दलों को घेरते थे। बता दें कि मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में जहां भाजपा की सरकारें नहीं हैं, इस योजना को वहां की सरकारों ने लागू करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। इससे विपक्षी दलों को खासा नुकसान हुआ है। वहीं खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस योजना को लेकर विपक्षी दलों के रवैये पर सवाल उठाते रहे जिससे जनता में विपक्ष के प्रति गलत धारणा बनी। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क निर्माण के कार्यों को जनता के बीच ले जाने में पूरी तरह सफल रहे।
हिंदुत्व
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने हिंदुत्व के मुद्दे पर ठीक वैसा ही काम किया जैसा किसी जमाने में आडवाणी किया करते थे। उन्होंने साध्वी प्रज्ञा को टिकट देने के पीछे को कांग्रेस के खिलाफ सत्याग्रह बताया। वह अपनी चुनावी रैलियों में हिंदू आतंकवाद के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरते रहे। शाह लोगों को यह बताने में कामयाब रहे कि कांग्रेस के कार्यकाल में हिंदू आतंकवाद की थ्यौरी गढ़ी गई थी। इस चुनाव में मालेगांव बम ब्लास्ट मामला खूब छाया रहा। भाजपा नेताओं के प्रचार के आगे कांग्रेस की मंदिर-मंदिर जाने की रणनीति फेल रही। भाजपा अध्यक्ष कांग्रेस पर हिंदूवादी नेताओं को झूठे केसों में फंसाने का आरोप लगाया। वहीं कांग्रेस की इस मुद्दे पर चुप्पी भी उसे भारी पड़ी। लोगों को लगा कि कांग्रेस के पास भाजपा नेताओं के सवालों का जवाब नहीं है।
जातीय समीकरण एवं मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण
भाजपा जातीय समीकरणों को भुनाने में भी कामयाब रही। बिहार में उसने पासवान और नीतीश के सहारे जातीय समीकरणों को हल किया वहीं यूपी में अपना दल और निषाद समाज के नेताओं को साधकर चुनावी बिसात बिछाया। उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा द्वारा कांग्रेस को गठबंधन में शामिल नहीं करने से मुस्लिम मतदाता दुविधा में नजर आए। यही नहीं तीन तलाक के मसले पर भी भाजपा को मुस्लिम महिला मतदाताओं की सहानुभूति मिली। दिल्ली में मुस्लिम वोट कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच बिखर गया जिसका सीधा फायदा भाजपा को मिला। वहीं हरियाणा में जाट मतदाताओं को साधने की रणनीति भी कामयाब रही।
पोलिटिकल स्ट्रेटजी (सियासी रणनीति)
इस चुनाव में सियासी रणनीति के मामले में नरेंद्र मोदी ने बाकी विपक्षी नेताओं को धराशाई कर दिया। यही वजह है कि भाजपा के 'मोदी है तो मुमकिन' नारे की आंधी में कांग्रेस का 'चौकीदार चोर है' का नारा उड़ गया। विपक्ष ने अलग-अलग नारे गढ़ने की कोशिश की। लेकिन भाजपा का 'हम सब चौकीदार' का सकारात्मक नारा विपक्ष के तमाम नकारात्मक नारों पर भारी पड़ा। भाजपा ने शुरू से ही अपने चुनावी अभियान को विकास और राष्ट्रवाद पर केंद्रित रखा और इसी हिसाब से उसके रणनीतिकारों ने नारों की रचना की। भाजपा 'हम सब चौकीदार', 'मोदी है तो मुमकिन है' और 'काम रुके ना, देश झुके ना' जैसे प्रमुख नारों के साथ जनता के बीच में थी। जहां 'हम सब चौकीदार' का नारा भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघर्ष का प्रतीक था। वहीं 'मोदी है तो मुमकिन है' के पीछे राष्ट्रवाद की प्रेरणा थी।
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